ग्रामीण शिक्षा प्रणाली में परिवर्तन की ज़रूरत - स्मिता चन्द्राकर
चार वर्षों से बिना भवन के चल रहा है ग्राम छुईहा का हाई स्कूल।जो सरकार के स्कूलों में मूलभूत सुविधाओं के उपलब्ध कराने के दावों की पोल खोलता है।
बागबाहरा(newstoday)जनपद अध्यक्ष स्मिता हितेश चंद्राकर ने कहा कि ग्रामीण क्षेत्रो में अधिकतर बच्चों के मातापिता शिक्षित नही है जिस कारण उनकी शिक्षा गुणवत्तापूर्ण नही हो पाती। प्राथमिक शिक्षा गुणवत्तापूर्ण नही होने के कारण ज्यादातर बच्चे उच्चशिक्षा भी ग्रहण नही कर पाते ।मातापिता का शिक्षित नही हो पाना शिक्षा के मार्ग पर बड़ी बाधा है।प्राथमिक व ग्रामीण स्तर पर शिक्षा की क्वालिटी, प्रतिबद्ध शिक्षक और विकास का हिस्सा होना चाहिए। यदि बच्चे शिक्षित नहीं होंगे तो मानव समाज के स्वास्थ्य पर भी विपरीत प्रभाव पडना लाजिमी है।अशिक्षित होने पर व्यक्ति का मानसिक और शरारिक शोषण होता है।अशिक्षा के चलते गरीबी और कुपोषण का भी शिकार होना पडता है।
अध्यक्ष चंद्राकर ने कहा है कि छत्तीसगढ़ शासन ने राजनीतिक विकेन्द्री- करण,की तरह शिक्षा का भी विकेन्द्रीकरण करते हुए गांव गांव पारा टोला मे स्कूलों की स्थापना तो कर दिया है। परंतु पढने वाले बच्चों को पढाने के लिए शिक्षक की व्यवस्था बैठने के लिए फर्नीचर और भवन की प्रर्याप्त रुप से व्यवस्था क्यो नहीं किया जा सका है।यह चिंतनीय है। ग्रामीण क्षेत्र के विद्यार्थियों की पढाई का स्तर ऊंचा उठाने सरकार को विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है।
शिक्षा को बढावा देते हुये गांव गांव में स्कूलों का उन्नयन कर उच्चशिक्षा की स्थापना किया गया है और किया जा रहा है। परंतु स्कूलों में जो जरुरी व्यवस्था होनी चाहिए वह किसी भी ग्रामीण स्कूलों में दिखाई नहीं देता।प्रायः सभी स्कूलों में शिक्षकों की कमी विषय आधारित शिक्षक का नियुक्ति नहीं होना स्कूलों में बच्चों के लिए प्रर्याप्त भवन का नहीं होना और जहां भवन है वहां फर्नीचर और शिक्षक का नहीं होना ऐसे अनेक समस्या विद्यामान है।जनपद पंचायत बागबाहरा क्षेत्र के अंतिम छोर में ग्राम पंचायत छुईहा है। ग्राम छुईहा मे छत्तीसगढ़ शासन ने वर्ष 2017 मे हाई स्कूल की स्थापना की है परंतु हाई स्कूल स्थापना के चार साल बीत जाने के बाद भी सरकार ने यहाँ पढने वाले बच्चों के लिए भवन का निर्माण नहीं कराया है। भवन के अभाव में हाई स्कूल के तमाम विद्यार्थियों को कभी मिडिल स्कूल भवन में शरण लेना पड रहा है तो कभी खुले आकाश तले पढ़ने को मजबूर हैं। ऐसी व्यवस्था से मिडिल स्कूल और हाई स्कूल के बच्चों की पढाई बुरी तरह से प्रभावित हो रही है। यह कहना है पूर्व सरपंच प्रीतम यादव का।
अध्यक्ष चंद्राकर ने राज्य के भूपेश सरकार से मांग करते हुये कहा है कि ग्राम पंचायत छुईहा में जल्द हाईस्कूल भवन निर्माण करने स्वीकृति प्रदान करें ताकि बच्चों की पढाई सुचारू रुप से चल सके।
अध्यक्ष चंद्राकर ने बताया कि बागबाहरा के ग्रामीण अंचल के स्कूलों में विषय आधारित शिक्षकों तथा सहायक शिक्षकों प्रधान पाठक और प्राचार्य जैसे पद प्रायः सभी स्कूलों मे रिक्त पडा हुआ है जिससे बच्चों के भविष्य के सांथ खिलवाड़ हो रहा है पूरे साल भर मे भी बच्चों की पढाई पूरी नहीं हो पाती।बच्चों ने अनेक विषयों की पुस्तक भी खोलकर नहीं देखी। ग्रामीण क्षेत्र के विद्यार्थियों को ठीक से हिन्दी बोलना पढना भी नहीं आता ऐसे में अंग्रेजी गणित भूगोल विज्ञान और संस्कृत जैसे विषयों की पढाई का स्तर गुणवत्तापूर्ण कैसे होगा? इसका सहज रुप से आंकलन लगाया जा सकता है। शिक्षा विभाग व्दारा शिक्षा गुणवत्ता के नाम पर लाखों रुपये व्यय किया जाता है और खाना पूर्ति कर शासन को शिक्षा गुणवत्ता की रिर्पोट भेजी जाती है।जबकि जमीनी हकीकत कुछ और बयां कर रही है।
क्या शिक्षा विभाग व्दारा भेजे जाने वाले रिर्पोट का शासन स्तर पर अवलोकन किया जाता है? यदि रिर्पोट पर अवलोकन किया जाता है तो फिर दोयम दर्जे की शिक्षा व्यवस्था पर सुधार के लिए अब तक उचित कदम क्यों नहीं उठाये जा रहे है।ग्रामीण अंचल के शिक्षण संस्थानों में जो कमियां है उसे दूर करने का प्रयास अब तक क्यों नहीं किया गया?
शिक्षा का स्तर ऊंचा उठाने अनेक प्रकार के प्रयोग किये जा रहे है और इस प्रयोग में भारी धन भी खर्च किया जा रहा है। बावजूद परिणाम में कोई सुधार नहीं होना चिंता जनक है।
सरकार तमाम सरकारी शिक्षण संस्थानों में जो अव्यवस्था और कमियां है उसे दूर करने मास्टरप्लान तैयार करें ताकि ग्रामीण स्कूलों का भी कायाकल्प हो सके।शिक्षकों की जो बेताहाशा कमी है उसे दूर करने नये नियुक्ति किया जाए।शिक्षकों से गैर शिक्षकीय कार्य कराने अन्य विभागों में बाबू गिरी का काम कराया जा रहा है वहाँ से भार मुक्त किया जाए।शहरी क्षेत्र के स्कूल में अतिशेष शिक्षक है उन शिक्षकों को शिक्षक विहीन शाला में पदस्थ किया जाए।सरकार स्कूलों में अतिरिक्त क्कक्ष निर्माण की जगह सम्पूर्ण स्कूल भवन का निर्माण कराई जाए।स्कूलों में खेल व्यायाम और एन सी सी स्काउट को बढावा देने संबंधित शिक्षकों की पदस्थापना किया जाए।
अध्यक्ष चंन्द्राकर ने कहा कि सरकार ग्रामीण स्कूलों का सतत निगरानी करने विभाग के अधिकारियों का दल गठन करें और जिन स्कूलों में जो जो कमियां है उसे सूची बध्द कर सरकार जानकारी मंगाए और पंचवर्षीय योजना तैयार कर तमाम कमियों को दूर करने के लिए विशेष पैकेज का प्रावधान किया जाए।