शिक्षक दिवस पर विशेष
आँखों में रोशनी नहीं, मगर बिखेर रही शिक्षा की रोशनी
दृष्टिहीन प्रीति यादव बनी प्रेरणा, दिव्यांग बच्चों को दे रही नई उड़ान
ज़ाकिर कुरैशी
पिथौरा। कहा जाता है कि सच्चा शिक्षक वही होता है, जो स्वयं कठिनाइयों से लड़कर दूसरों का मार्ग प्रशस्त करे। शिक्षक दिवस के अवसर पर ऐसी ही एक संघर्ष और सफलता की मिसाल है प्रीति यादव, जो जन्म से दृष्टिहीन होने के बावजूद आज सैकड़ों बच्चों के जीवन में शिक्षा का उजाला फैला रही हैं।
गरियाबंद जिले के फिंगेश्वर ब्लॉक के छोटे से गाँव बरभाठा में जन्मी प्रीति, मध्यमवर्गीय परिवार की सबसे छोटी संतान हैं। चार बहनों और एक भाई के बीच पली-बढ़ी प्रीति बचपन से ही पढ़ाई के प्रति लगनशील रहीं। दृष्टिहीनता उनके जीवन का हिस्सा थी, मगर कभी कमजोरी नहीं बनी। प्राथमिक व माध्यमिक शिक्षा सामान्य सरकारी स्कूल से पूरी की और विशेष शिक्षक निरंजन साहू के मार्गदर्शन में ब्रेल लिपि से अध्ययन कर 10वीं और 12वीं की परीक्षा उत्तीर्ण की।
आत्मविश्वास और हौसले की मिसाल बनी प्रीति ने सुंदरलाल शर्मा मुक्त विश्वविद्यालय बिलासपुर से बी.ए. किया और रायपुर से डी.एड. की परीक्षा पास कर शिक्षिका बनने का सपना पूरा किया। वर्तमान में वे सहायक शिक्षक के पद पर कार्यरत हैं और दृष्टिहीन विद्यार्थियों को पढ़ाकर उनके जीवन में आशा की नई किरण जगा रही हैं।
संघर्ष से सफलता तक का सफर
प्रीति की बड़ी बहन भूमिका यादव बताती हैं कि परिवार की सबसे छोटी और लाडली प्रीति ने कभी हार नहीं मानी। पढ़ाई में मेधावी रही और अकेले अपने संघर्षों से जीत हासिल कर शिक्षिका बनीं।
फार्चून हायर सेकेंडरी स्कूल करमापटपर बागबाहरा की प्राचार्या रश्मि साहू के अनुसार, प्रीति हिंदी और गणित जैसे विषयों में दक्ष हैं और जिम्मेदारी निभाने में किसी अन्य शिक्षक से कम नहीं। वहीं, स्कूल डायरेक्टर एवं उनके पूर्व शिक्षक निरंजन साहू ने कहा कि प्रीति बहुमुखी प्रतिभा की धनी हैं और उन्होंने खेलों में भी छत्तीसगढ़ का नाम रोशन किया है।
खेलों में भी लहराया परचम
पढ़ाई के साथ-साथ प्रीति एक उत्कृष्ट पैरा-एथलेटिक्स खिलाड़ी भी हैं। उन्होंने कई राष्ट्रीय खेलों में छत्तीसगढ़ का नेतृत्व किया और अपनी उपलब्धियों के दम पर वर्ष 2022-23 में छत्तीसगढ़ शासन के खेल एवं युवा कल्याण विभाग द्वारा प्रतिष्ठित "शहीद पंकज खेल रत्न अवार्ड" से सम्मानित हुईं।
समाज के लिए प्रेरणा बनीं प्रीति
दिव्यांग मित्र मंडल के संयोजक बीजू पटनायक के अनुसार, प्रीति ने अपनी विकलांगता को कभी कमजोरी नहीं माना और हमेशा आगे बढ़ने की कोशिश करती रही। वे कहती हैं, “प्रकृति दिव्यांगजनों की राह में बाधा नहीं, बल्कि सहायक बनती है।”
प्रीति यादव की उपलब्धियों को देखते हुए वर्ष 2020-21 में समाज कल्याण विभाग महासमुंद ने उन्हें सहायक शिक्षक के पद पर नियुक्त किया। आज वे न केवल दिव्यांग विद्यार्थियों को शिक्षा की राह दिखा रही हैं, बल्कि समाज के लिए भी एक जीवंत मिसाल बन चुकी है।