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Monday, May 17, 2021

मैं मुझसे कहता हूं

 मैं मुझसे कहता हूं





मैं मुझसे कहता हूं, तू मुझमें कुछ कर,

सपने छोटे ही सही, पर उसकी राह पकड़,

ना देख उड़ जाने की, पहले जमीन से तो लड़,

ज़माना बदल रहा है, उससे थोड़ा तो डर,

मैं मुझसे कहता हूं, तू मुझमें कुछ कर।।


सोते उन सपनों से, आगे तू बढ़,

ना बैठ खाली, अब राह गुजर,

चमकने से पहले, ज़रा सूरज सा तो जल,

उड़ने से पहले , पत्तों की तरह झड़,

मैं मुझसे कहता हूं, तू मुझमें कुछ कर।।


बैठी दरिया का कोई मोल नहीं,

सुख जायेगा तन इसकी छोर नहीं,

अब ना रुक, लगा जोर और बढ़,

जीना है तो कुछ कर के जी, या मर

मैं मुझसे कहता हूं , तू मुझमें कुछ कर।।



तेज देवांगन 

पिथोरा , महासमुन्द छत्तीसगढ़

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