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Friday, March 3, 2023

बारनवापारा के ग्रामीण वन अधिकार पत्र पाने सरकारी दफ्तरों के चक्कर लगाने को हैं मजबूर


बारनवापारा के ग्रामीण वन अधिकार पत्र पाने सरकारी दफ्तरों के चक्कर लगाने को 
हैं मजबूर


हितग्राहियों ने वन अधिकार पत्र नहीं मिलने पर आत्महत्या कर लेने की दी मौखिक चेतावनी

Jeevan lal ratre kasdol

   कसडोल(newstoday)- राज्य सरकार द्वारा वन अधिकार अधिनियम 2006 के अन्तर्गत पात्र अनुसूचित जनजाति एवं अन्य परम्परागत वननिवासियों को वन अधिकार पत्र उपलब्ध करावाने एवं सामुदायिक वन अधिकारों से लाभान्वित करने हेतु राज्य में विशेष अभियान चलाया गया था। जिसमें कोई कोई भी पात्र हितग्राही वन अधिकार पत्र (पट्टा) पाने से वंचित न हो किन्तु बिलाईगढ़ विधानसभा अंतर्गत कसडोल से 35 किलोमीटर दूर  बारनवापारा के कुछ किसानों को आज पर्यंत तक वन अधिकार पत्र अप्राप्त होने से राज्य सरकार की चल रही महत्वपूर्ण योजनाओं से लाभ नहीं मिलने अपने आप को ठगा महसूस कर रहे हैं।जहाँ

कसडोल अनुविभागीय अधिकारी के दफ्तर व कार्यलय कलेक्टर आदिवासी विकास विभाग बलौदाबाजार दफ्तर के चक्कर काटने को किसान आज भी मजबूर हैं।वही इन दफ्तरों में कार्यरत अधिकारी-कर्मचारी द्वारा आश्वासन के अलावा कुछ भी हाशिल नहीं हुआ है सिवाय आज आना,कल आना,करते-करते पिछले 4 वर्षों  से अधिक समय गुजर जाने के बाद भी अभी तक  वन अधिकार पत्र नही मिला है।जिसके चलते हितग्राही काफी हताश व निराश होकर आत्महत्या कर लेने की मौखिक चेतावनी बुधवार 1 मार्च को आदिवासी कलेक्टर ऑफिस में कार्यरत अधिकारियों को दी।वही इस पर बसंत नामक अधिकारी ने एक सप्ताह के अंदर खोजबीन कर वन अधिकार पत्र देने की मौखिक जानकारी दी है।इस संबंध में आदिवासी कलेक्टर ऑफिस पहुंचे वन अधिकार पत्र हितग्राहियों ने बताया कि बार में वर्ष 2018-19 में हितग्राहियों को सूची के अनुसार शासन ने पट्टा वितरण किया था।और उसी सूची में शामिल अनुसार-बेनुराम पिता जगत राम,बाबूलाल पिता थनवार,पारस पिता तुंगनदास, रामनाथ पिता साधुराम, कृष्णा पिता आशाराम,विजय पिता कदम,रूपधर पिता टेंगनूराम,व सेतबाई पिता चमरू हम 8 हितग्राहियों को लिस्ट में नाम होने के बावजूद भी आज तक वन अधिकार पत्र नहीं मिला है।जिसके फलस्वरूप हम हितग्राही किसानों ने कई बार पुनःनए आवेदन भी दिये हैं ताकि बन जाये करके।वन अधिकार पत्र नहीं मिलने से हम लोग सोसायटी में धान नहीं बेच पा रहें हैं, खाद- बीज नहीं मिल रहा है,सोसायटी से कर्जा नहीं मिल रहा है।जिसके चलते भुपेश सरकार की चल रही लाभकारी योजनाओं से वंचित हो रहे हैं।आज हम वन अधिकार पत्र (पट्टा) पाने सरकारी दफ्तरों के चक्कर लगाने को मजबूर हो गए हैं जहाँ हमे आये दिन खाली हाथ ही लौटना पड़ता है सरकार के नौकरशाही अफसर बेलगाम हो गए हैं।जिसके चलते हमे शारारिक, मानसिक, आर्थिक रूप से कठनाइयों का आये दिन सामना करना पड़ रहा है।

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