10 किलोमीटर ट्रेकिंग में खोजे गए 200 से अधिक औषधीय पौधे
✍️ न्यूज़ टुडे, पिथौरा
पिथौरा। छत्तीसगढ़ विज्ञान सभा एवं वन विभाग, जिला बलौदाबाजार-भाटापारा के संयुक्त तत्वावधान में देवपुर घाटी में 10 से 12 अक्टूबर तक “जल-जंगल यात्रा – औषधीय पौधों की खोज यात्रा” का सफल आयोजन किया गया। यह यात्रा वनमंडलाधिकारी धम्मशील गणवीर के मार्गदर्शन में सम्पन्न हुई, जिसमें छत्तीसगढ़ के विभिन्न जिलों से आए 100 से अधिक प्रतिभागियों ने 10 किलोमीटर तक की ट्रेकिंग करते हुए लगभग 200 औषधीय पौधों की खोज और संग्रह किया।
विगत 22 वर्षों से छत्तीसगढ़ विज्ञान सभा द्वारा छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश एवं ओडिशा के विभिन्न अंचलों में औषधीय पौधों की खोज यात्रा का आयोजन किया जा रहा है। इस वर्ष देवपुर के वन क्षेत्र में आयोजित यात्रा का नेतृत्व प्रसिद्ध वनस्पति टैक्सोनोमिस्ट प्रो. एम. एल. नायक ने किया।
इस यात्रा में वैद्य, टैक्सोनॉमिस्ट, वनस्पति एवं प्राणी विज्ञानी, आयुर्वेद महाविद्यालयों के छात्र-छात्राएं एवं आमजन सम्मिलित हुए। तीन दलों में विभाजित होकर प्रतिभागियों ने जंगलों में पौधों का संग्रह किया। वापसी के पश्चात बेस कैंप में आयोजित परिचर्चा में पौधों के स्थानीय नाम, वानस्पतिक नाम, रहवास, औषधीय गुणों तथा संरक्षण के उपायों पर चर्चा की गई।
यात्रा के दौरान सफेद मुसली, काली मुसली, सतावर, अनंतमूल, सारिवा, भूनिम्ह जैसे सामान्य पौधों के साथ जीवक, निर्मली, भगत कंपिक जैसी दुर्लभ औषधीय प्रजातियाँ भी खोजी गईं।
मुख्य अतिथि प्रो. एम. एन. नायक ने अपने उद्बोधन में दुर्लभ औषधीय पौधों के संरक्षण की आवश्यकता पर बल देते हुए कहा कि “बिज रहित लैंड” जैसे विलुप्तप्राय वृक्षों को बचाने के लिए शोधार्थियों, विद्यार्थियों एवं प्रशासन को संयुक्त प्रयास करने होंगे। उन्होंने स्थानीय स्तर पर औषधीय पौधों के संग्रहण और विपणन को संगठित कर भारत को वैश्विक औषधि बाजार में अग्रणी बनाने का आह्वान किया।
छत्तीसगढ़ विज्ञान सभा के अध्यक्ष विश्वास मेश्राम ने बताया कि यह यात्रा पिछले तीन दशकों से निरंतर जारी है और अब तक अनेक महत्वपूर्ण औषधीय पौधों की खोज की जा चुकी है। उन्होंने प्रतिभागियों से आग्रह किया कि इस अभियान के अनुभवों को पुस्तक के रूप में संकलित किया जाए।
कोरबा मेडिकल कॉलेज के डीन डॉ. के. के. सहारे ने सीपीआर तकनीक पर व्यावहारिक जानकारी दी। वहीं सचिव डॉ. वाई. के. सोना ने विज्ञान सभा की सदस्यता विस्तार की बात कही।
कार्यक्रम में विशेष रूप से डॉ. स्नेहलता हुमने, हेमंत खुटे, रतन गोंडाने, डॉ. विवेक दुबे, डॉ. सीमा दुबे, डॉ. गुलाब साहू, डॉ. सर्वेश पटेल, प्रो. निधि सिंह, डॉ. एच. एन. टंडन, वैद्य अर्जुन श्रीवास, महेंद्र सैनी, लीला प्रसाद अगरिया, देवनारायण मांझी सहित अनेक विशेषज्ञ उपस्थित थे।
हेमंत खुटे ने जानकारी दी कि वर्ष 2000 और 2012 में भी देवपुर में औषधीय पौधों की खोज यात्रा आयोजित की गई थी, और एक दशक बाद पुनः इस आयोजन ने देवपुर घाटी को वैज्ञानिक अध्ययन का केंद्र बना दिया है।
कार्यक्रम को सफल बनाने में वनमंडलाधिकारी धम्मशील गणवीर, रेंजर संतोष पैकरा, चंद्रहास ठाकुर, वनरक्षक अजीत ध्रुव, भोजन प्रभारी कलीम खान, परशुराम वीसी, उर्मिला ध्रुव और केयरटेकर पुष्पा चौहान का विशेष योगदान रहा।
समापन अवसर पर सभी 105 प्रतिभागियों को प्रमाणपत्र प्रदान कर कार्यक्रम का समापन किया गया।
— ✍️ न्यूज़ टुडे, पिथौरा