बागबाहरा(newstoday)छत्तीसगढ़ सरकार ने कृषि साख सहकारी समितियों में मनोनीत अध्यक्षों को प्रशासक नियुक्त किये जाने से साफ है कि सरकार ने यह कदम आगामी विधान सभा चुनाव को ध्यान में रख कर ग्रामीण इलाकों में पार्टी की पकड़ मजबूत बनाने के लिए किसान नेताओं को खुश करने के लिए उठाया है। भाजपा की जिला उपाध्यक्ष किसान नेत्री मोनिका दिलीप साहू ने कांग्रेस सरकार पर आरोप लगाया है कि सरकार कृषि साख सहकारी समितियों पर लोकतंत्र का ताला लगा कर चुनाव कराने से बच रही है कि पिछले चार साल में किसान आंदोलनों के चलते ग्रामीण इलाकों में कॉग्रेस की पकड़ कुछ कमजोर हुई है। यदि चुनाव के परिणाम सरकार के अनुरूप नही आये तो इसका असर आगामी विधान सभा मे देखने को मिल सकता है।लिहाजा सरकार समितियों के चुनाव टाल कर कांग्रेस के कार्यकर्ताओं को ही मनोनीत किया गया है।
छत्तीसगढ के सेवा सहकारी समितियों में प्रदेश के कांग्रेस सरकार द्वारा प्राधिकृत अधिकारी के रूप मे अशासकीय व्यक्तियों की नियुक्ति इस बात को दर्शाता है कि प्रदेश के कांग्रेस सरकार किसानो का भरोसा खो चुकी है इसी कारण सोसाइटी में चुनाव कराने के बजाय प्राधिकृत अधिकारी की नियुक्ति कर रहे हैं, विधान सभा चुनाव 2018 मे कांग्रेस ने सरकार बनाने के लिए बड़े बड़े वादे किए और किसानो ने कांग्रेस पर भरोसा किया जिससे छत्तीसगढ मे कांग्रेस की सरकार बनी, सरकार बनते ही किसान विरोधी अभियान में लग गए जैसे प्रति एकड़ सिर्फ 15 क्विंटल धान खरीदी,खेतो का रकबा कम करना, खाद, बीज की कमी किसानो को समय पर किसान क्रेडिट कार्ड में पैसे न मिलना और विभिन्न प्रकार से प्रताड़ना किसानो को करने लगे जिसके कारण प्रदेश के किसान वर्तमान कांग्रेस सरकार से खासा नाराज़ हैं ये बात प्रदेश सरकार बहुत अच्छे से जानती है की कांग्रेस प्रदेश में किसानो का भरोसा खो चुकी है जिसके कारण सहकारिता चुनाव कराने से डर रही है और समितियों में अशासकीय व्यक्तियों को प्राधिकृत अधिकारी के रूप में नियुक्ति कर रही है जो बिल्कुल ही किसान विरोधी अभियान है हम इस नियुक्ति का विरोध करते हैं और छत्तीसगढ की कांग्रेस सरकार से मांग करते हैं किसानो के हित को ध्यान में रखते हुए अविलम्ब समितियों में चुनाव कराया जाए।