आक्रोश : अनुसूचित जाति आयोग में दलित वर्ग के गाड़ा का प्रतिनिधित्व क्यों नही?
शामिल करें सरकार
बागबाहरा(newstoday)छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा विगत दिनों आयोग एवं विभिन्न प्रकार के बोर्ड के लिए अध्यक्ष एवं सदस्यों की नियुक्ति की गई है। जिसमें एक महत्वपूर्ण आयोग अनुसूचित जाति आयोग है। अनुसूचित जाति आयोग एक प्रकार का न्यायिक आयोग है जो अनुसूचित जाति वर्ग के हितों की रक्षा करने का कार्य करती है। ऐसे आयोग में छत्तीसगढ़ के बहुसंख्यक जाति गांड़ा जो छत्तीसगढ़ के लगभग सभी जिलो में निवासरत हैं तथा सामाजिक रूप से उपेक्षित भी होते रहे हैं, ऐसे बहुसंख्यक समाज के एक भी व्यक्ति को इस आयोग में शामिल न किया जाना दुर्भाग्यपूर्ण है। यह सरकार की गांड़ा समाज के प्रति उपेक्षित मानसिकता को दर्शाता है। ऐसा पहली बार नहीं हुआ है बल्कि गाँडा जाति के साथ उपेक्षा राज्य निर्माण से होता आ रहा है। पिछले बार समाज का एक प्रतिनिधिमंडल संसदीय सचिव की मांग के लिए कांग्रेस अध्यक्ष मोहन मरकाम जी एवं मुख्यमंत्री जी के पास पहुँचे थे तब भी सरकार द्वारा कोई पहल नहीं किया गया। हालांकि छत्तीसगढ़ सरकार छ.ग. के मूल संस्कृति को संरक्षित एवं प्रोत्साहित करने की बात करती है। गांड़ा समाज सरकार से यह जानना चाहता है कि क्या गडवा (गाँड़ा) बाजा छत्तीसगढ़ के मूल संस्कृति का हिस्सा नहीं है? आज से 50-60 साल पहले जब कहीं मडई मेला होता था, राऊत नाचा, देव कार्यक्रम, सामाजिक, सांस्कृतिक कार्यक्रम में गांड़ा (गडवा) बाजा का ही महत्व होता था। किन्तु सरकार के उपेक्षित मानसिकता के कारण ही छत्तीसगढ़ के मूल संस्कृति से जुड़ा हुआ- गडवा (गाँड़ा) बाजा विलुप्त के कगार पर है। जब सरकार द्वारा केशकला बोर्ड, माटी कला बोर्ड, लौह शिल्पकार बोर्ड, चर्म शिल्पकार बोर्ड आदि का गठन कर सकती है तो छ.ग. के मूल संस्कृति से जुड़ा गड़वा (गांड़ा) बाजा बोर्ड का भी गठन कर सकती है। लेकिन सरकार गाँड़ा समाज के विकास के लिए कुछ भी करना नहीं चाहती।
आज जब अनुसूचित जाति आयोग के अध्यक्ष एवं सदस्यों के नियुक्ति की गई है उसमें भी छत्तीसगढ़ के बहुसंख्यक जाति गाँड़ा को उपेक्षित किया गया है जिसके कारण गाँड़ा समाज के लोग स्वयं को उपेक्षित एवं अपमानित महसूस कर रहे हैं। छत्तीसगढ़ गाँड़ा समाज विकास खण्ड- बागबाहरा, कांग्रेस अध्यक्ष श्री मोहन मरकाम जी एवं मुख्यमंत्री - श्री भूपेश बघेल जी से अनुरोध करता है कि गाँड़ा समाज काफी आक्रोशित एवं दुःखी है, गांड़ा समाज से एक प्रतिनिधि अनुसूचित जाति आयोग में लिया जाये ताकि छ.ग. में हमें सम्मानजनक प्रतिनिधित्व मिल सके।