
गुजरात, हिमाचल और दिल्ली MCD चुनाव पर क्या कहता है एग्जिट पोल, समझें समीकरण
गुजरात और हिमाचल प्रदेश विधानसभा (Gujarat and Himachal Pradesh Legislative Assemblies) के साथ दिल्ली नगर निगम का चुनाव (municipal election) संपन्न हो चुका है। अब गुजरात और हिमाचल चुनाव के नतीजे आठ दिसंबर को जारी होंगे। सात दिसंबर को दिल्ली एमसीडी का रिजल्ट (result) घोषित होना है। इसके पहले सोमवार को तमाम एग्जिट पोल (exit poll) के आंकड़े जारी हुए। तीनों चुनावों को लेकर अलग-अलग एजेंसियों ने सर्वे करवाया था। इसके अनुमान ने सियासी गलियारे में हलचल बढ़ा दी है।
ऐसे में आज हम आपको बताएंगे कि इन एग्जिट पोल के आंकड़ों ने राजनीतिक दलों को क्या संदेश दिया? अगर ये आंकड़े हकीकत में तब्दील होते हैं तो किस पार्टी के लिए इसके क्या मायने होंगे? सियासी समीकरण क्या हैं?
वहीं, इस बार पूरी ताकत से चुनावी मैदान में उतरी आम आदमी पार्टी को कुछ खास फायदा होता नहीं दिख रहा है। एग्जिट पोल के आंकड़े कहते हैं कि अभी गुजरात में मुख्य लड़ाई कांग्रेस और भाजपा के बीच ही है। 2017 के मुकाबले इस बार कांग्रेस को नुकसान उठाना पड़ सकता है।
हिमाचल प्रदेश : यहां कांग्रेस और सत्ताधारी पार्टी भाजपा के बीच कांटे की टक्कर है। नौ में से छह सर्वे ने अनुमान लगाया है कि हिमाचल प्रदेश में भाजपा दोबारा सरकार बनाने जा रही है। तीन सर्वे में मुकाबला बेहद कांटे का बताया गया है। आजतक एक्सिस माय इंडिया ने कांग्रेस की सत्ता में वापसी का अनुमान लगाया है। 68 विधानसभा सीटों वाले हिमाचल में बहुमत के लिए 35 सीटों की जरूरत पड़ती है। आजतक एक्सिस माय इंडिया के सर्वे में कांग्रेस को 30 से 40 सीटें मिलने का अनुमान लगाया गया है। भाजपा को 24 से 34 सीटें मिल सकती हैं।
दिल्ली एमसीडी : तमाम एग्जिट पोल में दिल्ली नगर निगम चुनाव में बड़े उलटफेर का अनुमान लगाया गया है। पोल के अनुसार, 15 साल से एमसीडी में काबिज भाजपा के हाथ से सत्ता चली जाएगी। आम आदमी पार्टी की बड़ी जीत हो सकती है। एमसीडी को लेकर पांच एजेंसियों ने सर्वे किया था। सभी ने इस बार चुनाव में आम आदमी पार्टी को पूर्ण बहुमत का अनुमान लगाया है। आजतक एक्सिस माय इंडिया ने आप को 149 से 171, टाइम्स नाऊ ईटीजी ने 146 से 156, इंडिया न्यूज जन की बात ने 150 से 175, टीवी9 ऑन द स्पॉट ने 145 और जी न्यूज बार्क ने आम आदमी पार्टी को 134 से 146 सीटें मिलने का अनुमान लगाया है। वहीं, भाजपा को 70 से 94 सीटें मिलने का अनुमान है। कांग्रेस के खाते में तीन से 14 सीटें जा सकती हैं। अन्य को शून्य से 14 सीटें मिल सकती हैं।
वीरांग के अनुसार, ‘2014 में नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद से गुजरात में भाजपा को कोई मजबूत चेहरा नहीं मिल पाया है। यही कारण है कि पहले आनंदी बेन पटेल और फिर विजय भाई रूपाणी को सात साल के अंदर बदलना पड़ा। अब भूपेंद्र भाई पटेल को भाजपा ने कमान सौंपा है, लेकिन वह भी पीएम मोदी के छाप से बाहर नहीं निकल पा रहे हैं। इसका नुकसान पार्टी को हो रहा है।’
उन्होंने आगे बताया एग्जिट पोल के अनुसार, पिछली बार के मुकाबले इस बार भाजपा ज्यादा सीटें जीत रही है। ये इसलिए क्योंकि इस बार आम आदमी पार्टी ने पूरी ताकत झोंक दी थी। एआईएमआईएम ने भी कई सीटों पर दमदारी से चुनाव लड़ा। इसका नुकसान कांग्रेस को उठाना पड़ा, जबकि भाजपा को फायदा मिल गया। कांग्रेस के वोट शेयर में बंटवारा हो गया। यही कारण है कि एंटी इनकम्बेंसी का भी असर नहीं हुआ और भाजपा पहले के मुकाबले ज्यादा सीटों के साथ सत्ता में वापसी कर रही है।
हिमाचल प्रदेश : एक वरिष्ठ पत्रकार का कहना है कि, ‘हिमाचल में आमतौर पर हर पांच साल में सत्ता बदल जाती है। 2017 में जयराम ठाकुर के मुख्यमंत्री बनने के बाद से भाजपा ने सूबे में काफी काम किया। नरेंद्र मोदी का चेहरा और पहाड़ पर भाजपा के काम ने कांग्रेस को गणित बिगाड़ सकता है। कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व ने भी एक तरह से चुनाव से दूरी बना रखी थी। इसका भी पार्टी को नुकसान होता दिख रहा है। ज्यादातर एग्जिट पोल ने भले ही भाजपा को पूर्ण बहुमत दिया है, लेकिन कांग्रेस ने जोरदार टक्कर भी दी है। मतलब साफ है कि ये मुकाबला इतना आसान नहीं था।’
दिल्ली एमसीडी: दिल्ली नगर निगम के एग्जिट पोल पर हमने राजनीतिक विश्लेषकों से की। उन्होंने कहा कि, ‘ये चौंकाने वाला नतीजा नहीं है। इसका अनुमान पहले से ही था। दिल्ली में अरविंद केजरीवाल और उनकी पार्टी ने जिस तरह से प्रचार किया है, उससे साफ है कि वह अब यहीं नहीं रुकने वाले हैं। पिछले सात से आठ साल तक केजरीवाल हमेशा साफ-सफाई को लेकर भाजपा पर निशाना साधते थे। हर चीज के लिए भाजपा को ही जिम्मेदार ठहराते थे। अब अगर ये आंकड़े रिजल्ट में तब्दील होती है तो दिल्ली के साथ-साथ एमसीडी पर भी उनका कब्जा हो जाएगा। ऐसे में अगले दो साल में उन्हें काम करने ये साबित करना होगा कि वह भाजपा से बेहतर हैं। नहीं, तो 2024 में होने वाले विधानसभा और लोकसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी को नुकसान उठाना पड़ सकता है।’
उनके अनुसार, ‘इस चुनाव ने भाजपा और कांग्रेस के लिए भी बड़ी चुनौती पैदा कर दी है। कांग्रेस को अब अपना अस्तित्व बचाने के लिए भी यहां काफी संघर्ष करना होगा। आम आदमी पार्टी की एंट्री ने कांग्रेस को पूरी तरह से खत्म कर दिया है। वहीं, भाजपा को अब आप से बड़ी टक्कर मिल रही है। ऐसे में दिल्ली के अंदर अगर भाजपा को मजबूत होना है तो एक नया और तेज चेहरा सामने लाना होगा। जो खुलकर अरविंद केजरीवाल के बराबर मुकाबला कर सके।’
2. मुफ्त की योजनाओं से वोट नहीं मिलते : चुनाव आते ही तमाम राजनीतिक दल वोट की खातिर मुफ्त के वादे करने लगते हैं। पार्टियों को लगता है कि इससे उन्हें वोट मिल जाएगा। हालांकि, पिछले पांच चुनाव के नतीजे ये साफ कर चुके हैं कि मुफ्त की योजनाओं से किसी को वोट नहीं मिलते हैं। गुजरात और हिमाचल प्रदेश के एग्जिट पोल भी इसी ओर इशारा कर रहे।
3. काम को तरजीह दे रही जनता : इन तीनों चुनाव के एग्जीट पोल इसी ओर इशारा कर रहे हैं। इसके अनुसार अब जनता नाम के साथ-साथ काम को भी तरजीह दे रही है। यही कारण है कि 27 साल तक गुजरात में राज करने के बाद फिर से लोगों ने भाजपा को ही चुना। दिल्ली के लोगों के बीच अरविंद केजरीवाल अपने मॉडल को प्रचारित करने में कामयाब हुए और इसका नतीजा ये रहा कि अब दिल्ली की सरकार के साथ-साथ जनता ने उन्हें एमसीडी की कमान भी सौंप दी है।